आंसूओ के चित्कार के बीच कफन के लिये कोयलांचल मे होती है सौदेबाजी

चिताओ के लपटो से कबतक रोशन होता रहेगा कोल कंपनियो के आशियाने?

अपनी बात
टंडवा: बिनय कुमार सिन्हा- एनटीपीसी और सीसीएल की कोल ढूलाई से काली सडके खून से लाल हो रही है। कोल ढूलाई कर रहा हाइवा और ट्रको के आतंक सिर चढ कर बोल रहा है। सुबह का निकला शाम को घर वापस आ जाये तो भगवान को लोग देते है धन्यवाद। सडको पर निकलना दस साल पहले जितना आसान था वह अब दिख नही रहा है। टंडवा,सिमरिया, पिपरवार,केरेडारी और कटकमसांडी रोड एक्सीडेंट जोन बन चुका है। हर माह तीन से चार राहगीरो की मौत से न तो शासन को चिंता है और न सरकार को। सोमवार की रात कोल वाहन के चपेट मे आने से हजारीबाग कटकमसांडी रोड मे दो की मौत एक बार फिर कोहराम मचा दिया । दरअसल सीसीएल और एनटीपीसी की कोल खदानो से दिन रात कोयले की ढूलाई हो रही है। इसमे एक दर्जन से अधिक ट्रांसपोर्टिंग कंपनिया कोयले की ढूलाई कर रही है। जिससे साल 24 मे अबतक एक दर्जन से अधिक लोगो की मौत हो गयी। जबकि इसके पूर्व एक दशक मे एक हजार से अधिक लोगो की मौत के शिकार बने है।सबसे दुखद पहलू यह है कि किसी की मौत के बाद मुआवजा यानी कफन ओढाने की कीमत तय करने के लिये लोगो को घंटो रोड जाम करना पड रहा है। जिन आंखो के चित्कार से परिजनो का कलेजा फट रहा होता है वहा कफन ओढाने के लिये ट्रांसपोर्टर सौदेबाजी करते रहते है। 50 हजार से आरंभ होकर कफन की कीमत 3 से 4 लाख मे ठहर जाती है। यह राशि ट्रांसपोर्टर भुगतान करते है। अब जरा गौर करे कि जब एक जिन्दगी कीमत तीन या चार लाख ट्रांसपोर्टर तय करते है तो उनकी या कंपनियो का मुनाफा कितना होता होगा कोयला ढोने मे। लिहाजा अब सबकी जूबा यही कह रही है कि चिताओ की लपटो से कंपनियो का आशियाना रोशन हो रहा है। इसके पीछे का तर्क यही है कि इंसान लाश जितना भी बन जाये पर कोल ढूलाई थमना नही चाहिये। इस कार्य मे कुछ लिफाफा भी बंट जाये तो कोई गुनाह नही है। दूसरी ओर अमूमन तौर पर देखा जाता है कि किसी की मौत होने के बाद नेताओ का मेला लग जाता है और मुआवजा कहे या कफन की कीमत तय कर खुब शाबशी लूटते है । पर भविष्य मे किसी की मौत न हो समय से पहले इसका स्थायी समाधान नही निकाला जाता। लोग तो यह भी कहने लगे है कि जनता के टैक्स से जो सैलरी अधिकारियो को मिलती है उनकी चिंता जनता के लिये कतय नही है। झामुमो नेता मनोज चंद्रा ने एक बैठक मे कभी कहा था कि अधिकारी जनता के लिये काम करे सीसीएल और एनटीपीसी के लिये नही। बहरहाल नो इंट्री लगाने के लिये सांसद और विधायक चतरा डीसी से मिलचुके है पर अबतक जमीन पर उतरा नही है। लिहाजा नो इंट्री और बिजली की मांग को लेकर भाजपा ने 29 जून से कोल ढूलाई बंद करने का ऐलान तो कर दिया पर इसका अंजाम क्या होगा यह आने वाला वक्त बतायेगा।

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